मसीह में मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, यह लिखा है कि  पुराना आदम (पुरानी पुरूष) एक जीवता प्राणी बन गया l उत्पत्ति 2: 7 - और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया।

नया आदम पवित्र आत्मा है जो पुनर्जीवित होता है।

परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया l उत्पत्ति 1:27 में - तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की।

लेकिन उनकी छवि में परमेश्वर द्वारा बनाए गए लोगों को सर्प ने धोखा दिया और परमेश्वर की छवि खो दी। उनकी मांसल आँखें खुल गईं।

उत्पत्ति 3:7 में - तब उन दोनों की आंखे खुल गई, और उन को मालूम हुआ कि वे नंगे है; सो उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये।

जब परमेश्वर बाटिका में घूमने आया, तो वे परमेश्वर के सामने खड़े नहीं हो सके और आदम और हव्वा परमेश्वर की मौजूदगी से दूर चले गए और बाटिका के वृक्षों के बीच छिप गए।

इसलिए, हम देखते हैं कि प्रभु उन तीनों को वहाँ शाप दिया। अगर परमेश्वर की छवि हमसे दूर हो जाती है, तो परमेश्वर का गुस्सा हमारे ऊपर आता है।

परमेश्वर ने आदम को उत्पत्ति 3:19 में लिखा शाप दिया था - और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा; क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।

उसके बाद, आदम और हव्वा के अपने बच्चे थे। कैन, हाबिल - जो इसे पढ़ेंगे वे समझेंगे। परमेश्वर ने आदम और हव्वा को बगीचे से बाहर मैदान तक भेजा। बगीचे से बाहर जाने के बाद पैदा हुए बच्चे परमेश्वर के लिए प्रसाद लेकर आए। एक ने जीवनदान दिया और दूसरे ने बिना जीवन की पेशकश की। परमेस्वर ने जीवन के बिना प्रसाद ग्रहण नहीं किया। उसने जीवित भेंट स्वीकार कर ली l

लेकिन कैन हाबिल से नाराज़ हो गया और जब वे दोनों खेतों में थे तो कैन ने हाबिल को मार डाला। इसका कारण कैन था जो गुस्से से भरा था। ऐसा इसलिए था क्योंकि वे सर्प द्वारा छले जाने के बाद पैदा हुए बच्चे थे और बगीचे से बाहर भेजे गए थे। (परमेश्वर का श्राप)

 

उसके बाद, आदम के लिए शेत नामक एक पुत्र का जन्म हुआ। शेत का एक बेटा था जिसका नाम एनोश था। तब लोग प्रभु के नाम से पुकारने लगे।

तब पुरुषों ने पृथ्वी के ऊपर बहुत बढ़ने लगे करना शुरू किया। उत्पत्ति 6: 5 – 8 - और यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है।

और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ।

तब यहोवा ने सोचा, कि मैं मनुष्य को जिसकी मैं ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगा; क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगने वाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूंगा क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूं।

परन्तु यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रही॥

उत्पत्ति 6: 11 – उस समय पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी।

उत्पत्ति 6: 12 – और परमेश्वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा, कि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी अपनी चाल चलन बिगाड़ ली थी।

मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी यही हो रहा है। हम मसीह के साथ एकजुट होने के बाद, हम मसीह की छवि पर डाल रहे हैं। लेकिन हमारी आत्मा जो बाग है (परमेश्वर घूम रहा है और हमें अपनी शिक्षा दे रहा है) शैतान द्वारा धोखा दिया जा रहा है। हम उद्देश्यपूर्ण तरीके से उन कामों को करते हैं जो परमेश्‍वर ने हमें करने और लापरवाही से चलने की अनुमति नहीं दी है।

इसलिए, इन दिनों में, परमेश्‍वर पुराने आदमी - आदम और हव्वा के कामों को नष्ट कर रहा है और हमें नए आदमी (प्रभु यीशु मसीह) को पहनने के लिए कह रहा है और हमें नया करना चाहता है और हमें नया बनाना चाहता है।

आइए प्रार्थना करते हैं l

-        कल भी जारी रहना है