हमारे प्रभु यीशु मसीह के अनमोल नाम की जय
इफिसियों 1: 3
हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, कि उस ने हमें मसीह में स्वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आशीष दी है।
हमारे प्रभु यीशु मसीह की कृपा आप सब के साथ हो। आमीनl
हल्लिलूय्याह
हमारी आत्मा, दुल्हन, चर्च, परमेश्वर का घर परमेश्वर के वचन से धन्य होगा।
मसीह में मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, बाइबल के उस हिस्से में जिस पर हमने पिछले दिनों ध्यान किया था, हमने ध्यान दिया कि हम, दुल्हन, चर्च को बिखरे हुए लोगों को इकट्ठा करना चाहिए।
आगे हम जिस पर ध्यान कर रहे हैं, वह यह पद है कि 1 इतिहास 13: 5 – 14 तब दाऊद ने मिस्र के शीहोर से ले हमात की घाटी तब के सब इस्राएलियों को इसलिये इकट्ठा किया, कि परमेश्वर के सन्दूक को किर्यत्यारीम से ले आए।
तब दाऊद सब इस्राएलियों को संग ले कर बाला को गया, जो किर्यत्यारीम भी कहलाता और यहूदा के भाग में था, कि परमेश्वर यहोवा का सन्दूक वहां से ले आए; वह तो करूबों पर विराजने वाला है, और उसका नाम भी यही लिया जाता है।
तब उन्होंने परमेश्वर का सन्दूक एक नई गाड़ी पर चढ़ा कर, अबीनादाब के घर से निकाला, और उज्जा और अह्यो उस गाड़ी को हांकने लगे।
और दाऊद और सारे इस्राएली परमेश्वर के साम्हने तन मन से गीत गाते और वीणा, सारंगी, डफ, झांझ और तुरहियां बजाते थे।
जब वे कीदोन के खलिहान तक आए, तब उज्जा ने अपना हाथ सन्दूक थामने को बढ़ाया, क्योंकि बैलों ने ठोकर खाई थी।
तब यहोवा का कोप उज्जा पर भड़क उठा; और उसने उसको मारा क्योंकि उसने सन्दूक पर हाथ लगाया था; वह वहीं परमेश्वर के साम्हने मर गया।
तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिये कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा था; और उसने उस स्थान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज तक बना है।
और उस दिन दाऊद परमेश्वर से डर कर कहने लगा, मैं परमेश्वर के सन्दूक को अपने यहां कैसे ले आऊं?
तब दाऊद ने सन्दूक को अपने यहां दाऊदपुर में न लाया, परन्तु ओबेदेदोम नाम गती के यहां ले गया।
और परमेश्वर का सन्दूक ओबेदेदोम के यहां उसके घराने के पास तीन महीने तक रहा, और यहोवा ने ओबेदेदोम के घराने पर और जो कुछ उसका था उस पर भी आशीष दी।
उपर्युक्त श्लोकों में, दाऊद ने मिस्र के शीहोर से ले हमात की घाटी तब के सब इस्राएलियों को इसलिये इकट्ठा किया, कि परमेश्वर के सन्दूक को किर्यत्यारीम से ले आए। तब दाऊद सब इस्राएलियों को संग ले कर बाला को गया, जो किर्यत्यारीम भी कहलाता और यहूदा के भाग में था, कि परमेश्वर यहोवा का सन्दूक वहां से ले आए; वह तो करूबों पर विराजने वाला है, और उसका नाम भी यही लिया जाता है। तब उन्होंने परमेश्वर का सन्दूक एक नई गाड़ी पर चढ़ा कर, अबीनादाब के घर से निकाला, और उज्जा और अह्यो उस गाड़ी को हांकने लगे। और दाऊद और सारे इस्राएली परमेश्वर के साम्हने तन मन से गीत गाते और वीणा, सारंगी, डफ, झांझ और तुरहियां बजाते थे। जब वे कीदोन के खलिहान तक आए, तब उज्जा ने अपना हाथ सन्दूक थामने को बढ़ाया, क्योंकि बैलों ने ठोकर खाई थी। तब यहोवा का कोप उज्जा पर भड़क उठा; और उसने उसको मारा क्योंकि उसने सन्दूक पर हाथ लगाया था; वह वहीं परमेश्वर के साम्हने मर गया। तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिये कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा था; और उसने उस स्थान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज तक बना है। और उस दिन दाऊद परमेश्वर से डर कर कहने लगा, मैं परमेश्वर के सन्दूक को अपने यहां कैसे ले आऊं? तब दाऊद ने सन्दूक को अपने यहां दाऊदपुर में न लाया, परन्तु ओबेदेदोम नाम गती के यहां ले गया। और परमेश्वर का सन्दूक ओबेदेदोम के यहां उसके घराने के पास तीन महीने तक रहा, और यहोवा ने ओबेदेदोम के घराने पर और जो कुछ उसका था उस पर भी आशीष दी।
मेरे प्यारे लोगों, परमेश्वर के पिछले शब्दों में परमेश्वर के सन्दूक का अर्थ है कि वह एक आदर्श मसीह के रूप में दिखा रहा है जो परमेश्वर के वचन से भरा हुआ है। यानी वह सन्दूक हमारे आशीर्वाद के लिए है। बस यही प्रभु का वचन है। जब हम परमेश्वर के इस वचन को स्वीकार करते हैं तो हमारी आत्मा जो परमेश्वर का घर है, धन्य हो रही है। परमेश्वर का वह वचन बहुत पवित्र है। हमें परमेश्वर के इस वचन को स्वीकार करना चाहिए और उस वचन के द्वारा हमारी अगुवाई करनी चाहिए। यदि इस प्रकार से हमारी अगुवाई की जाए, तो हम पवित्र ठहरेंगे। साथ ही, जो लोग पवित्र जीवन जी रहे हैं, वे केवल इसके माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यदि अशुद्ध और घिनौने लोग उस पर काम करें, तो यहोवा का कोप उन पर भड़केगा। इसलिथे दाऊद डर के मारे परमेश्वर के सन्दूक को अपके घर में न ले गया, और उसको ओबेदेदोम के भवन में रखता है। जब वह वहां तीन महीने तक रहा, तब यहोवा ने उस घर को और जो कुछ उसका था, उस पर आशीष दी। इसलिए मेरे प्रिय लोगों, हमारे जीवन में जिन्होंने प्रभु मसीह को स्वीकार कर लिया है, हमें हमेशा पवित्र रहना चाहिए और कांपते हुए प्रभु का भय मानना चाहिए और उसके वचन के अनुसार चलना चाहिए और उसकी सेवा करनी चाहिए। तब हमारी आत्मा, जो परमेश्वर का घर है, परमप्रधान के सभी आशीर्वादों से आशीषित होगी।
आइए प्रार्थना करते हैं। प्रभु आप सब पर भरपूर कृपा करें।
• कल भी जारी